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मुक्तक
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सोमवार, 30 नवंबर 2009
मुक्तक
फूल भनि लुकाएर काँडा दिई गयौ
प्यास मेटाउछु भनि मेरो रगत पिई गयौ
मेरो खुसि मेरो जीवन तिमी सक्झेर
तिम्रै तिम्ति बाँचेको थे प्राण लिई गयौ
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